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All submissions with a minimum of 9 up votes will qualify to be reviewed for possible awards and selections. Panel decision final.
समझ
उसको ढूंढू भी तो कैसे,
मैं तो खोया हुआ हूँ,
खुद अपनी तलाश मे…
जो किया मैंने किया,
मुझको यह वहम हैI
मैं अमीर, वो ग़रीब,
ज़हन मे बसा अहम हैI
साँसे उसकी, आँखे उसकी,
रगों मे दौड़ता ख़ून
उसके दम से हैI
ज़ो दिया उसने दिया,
सब उसका करम हैI
समझ मे आता है जब,
वक़्त निकल जाता है तबI
माटी से निकले थे,
माटी मे मिल जाना हैI
अपना यहाँ कुछ भी नहीं,
जो साथ ले जाना हैI
सिफ़र से चले थे,
एक दिन सिफ़र हो जाना हैI
कैसे चुकाएगा क़र्ज़ तुम्हारा हिन्दुस्तान
सरहद पर हुए शहीद, कुछ आहत हुए
ताकि सर उठा कर जीवित भारत रहे
मोल नहीं कोई तुम्हारे इस योगदान का
ऋण कैसे चुकाएगें तुम्हारे बलिदान का
देश की खातिर निस्वार्थ है ये बलिदान
भूलेगा कैसे कोई जन हिन्दुस्तान का
क़ुर्बान कर दिए माँओं ने पुत्र नौजवान
ताकि हर दिल मे बसा रहे हिन्दोस्तान
कैसे चुकाएगा क़र्ज़ तुम्हारा हिन्दुस्तान
जीना मरना केवल अपने वतन के लिए
फ़र्ज़ तुमने निभाया चैन-ओ-अमन के लिए
नाज़ करेगी तुम पर ये धरती और आस्मान
अपनी जान देकर तुमने बचायी तिरंगे की शान
कैसे चुकाएगा क़र्ज़ तुम्हारा हिन्दुस्तान
अब हम सबको मिलकर प्रण ये करना है
तुमको नमन सच्चे दिल से सबको करना है
मातृ-भूमि की सेवा से हर बच्चे को जोड़ना है
देश के दुश्मनों को ज़िन्दा नहीं अब छोड़ना है
जय हिन्द , जय हिन्द की सेना
~ राकेश की कलम से